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Internal haemorrhoids

## ग्रेड 1 और 2 आंतरिक बवासीर का चिकित्सा प्रबंधन: कब और कैसे - डॉ. करण आर. रावत, विशेषज्ञ सर्जन, आगरा

### परिचय

बवासीर, जिसे पाइल्स भी कहा जाता है, एक आम समस्या है जिसमें मलाशय और गुदा के आसपास की नसें सूज जाती हैं। बवासीर को आंतरिक और बाहरी दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। आंतरिक बवासीर आमतौर पर गुदा के अंदरूनी हिस्से में होती है और ग्रेड 1 और 2 इसकी प्रारंभिक अवस्थाएँ हैं। डॉ. करण आर. रावत, जो कि आगरा के एक विशेषज्ञ सर्जन हैं, आंतरिक बवासीर के चिकित्सा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।

### ग्रेड 1 और 2 आंतरिक बवासीर का परिचय

- **ग्रेड 1**: इस अवस्था में बवासीर केवल आंतरिक होती है और गुदा के अंदर रक्तस्राव हो सकता है लेकिन यह बाहर नहीं निकलती।

- **ग्रेड 2**: इस अवस्था में बवासीर गुदा के बाहर निकल सकती है, लेकिन यह स्वाभाविक रूप से अंदर चली जाती है।

### चिकित्सा प्रबंधन: कब और कैसे

1. **प्रारंभिक लक्षणों की पहचान**:

- रक्तस्राव, खुजली, और मल त्याग के दौरान दर्द जैसे लक्षणों की पहचान करना महत्वपूर्ण है।

- अगर ये लक्षण दिखाई दें, तो बिना देरी के डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

2. **आहार और जीवनशैली में बदलाव**:

- **फाइबर युक्त आहार**: फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज का सेवन बढ़ाएं।

- **पानी का सेवन**: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, जिससे मल नरम रहे और कब्ज की समस्या न हो।

- **व्यायाम**: नियमित व्यायाम से रक्त प्रवाह में सुधार होता है और वजन नियंत्रित रहता है, जो बवासीर को बढ़ने से रोकता है।

3. **दवाएं और औषधियाँ**:

- **ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाएं**: हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम, दर्द निवारक और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं मददगार हो सकती हैं।

- **स्टूल सॉफ्टनर**: स्टूल सॉफ्टनर का उपयोग मल त्याग को आसान बनाने के लिए किया जा सकता है।

- **फ्लेवोनोइड्स**: ये दवाएं रक्तस्राव को रोकने और सूजन को कम करने में मदद करती हैं।

4. **गर्म पानी की बाथ**:

- **सिट्ज बाथ**: गुनगुने पानी में बैठना जिससे गुदा क्षेत्र की सूजन और जलन कम हो सकती है। यह दिन में 2-3 बार किया जा सकता है।

5. **मेडिकल प्रोसीजर्स**:

- **रबर बैंड लिगेशन**: ग्रेड 2 बवासीर के लिए प्रभावी होता है। इसमें बवासीर के आधार पर एक छोटा रबर बैंड लगाया जाता है, जिससे रक्त प्रवाह रुक जाता है और बवासीर गिर जाती है।

- **स्क्लेरोथेरेपी**: इसमें बवासीर के ऊतकों में एक रासायनिक घोल इंजेक्ट किया जाता है, जिससे बवासीर सिकुड़ जाती है।

### कब चिकित्सा प्रबंधन आवश्यक है?

- जब लक्षण मामूली हों और दैनिक जीवन को प्रभावित न कर रहे हों।

- प्रारंभिक अवस्था में पहचान और उपचार से बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है।

- यदि बवासीर गंभीर हो रही है या चिकित्सा प्रबंधन से लक्षणों में सुधार नहीं हो रहा है, तो सर्जिकल विकल्पों पर विचार करना आवश्यक हो सकता है।

### निष्कर्ष

ग्रेड 1 और 2 आंतरिक बवासीर का सही समय पर चिकित्सा प्रबंधन महत्वपूर्ण है। डॉ. करण आर. रावत के अनुसार, आहार, जीवनशैली में बदलाव और उचित दवाओं का उपयोग बवासीर के लक्षणों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आप बवासीर के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो बिना देर किए विशेषज्ञ से परामर्श लें और उचित चिकित्सा प्रबंधन शुरू करें। सही समय पर उपचार न केवल लक्षणों को कम करता है बल्कि भविष्य में होने वाली जटिलताओं से भी बचाता है।

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